Uttarkashi Tunnel Rescue Update: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तरकाशी के सिल्क्यारा में निर्माणाधीन सुरंग में फंसे मजदूरों गब्बर सिंह नेगी और सबा अहमद से बातचीत कर उनका हालचाल जाना और उन्हें सुरक्षित बाहर निकालने के लिए तेज गति से चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन के बारे में भी जानकारी दी. सीएम ने मजदूरों के उत्साह को भी बढ़ाया और कहा कि जल्द उन्हें बाहर निकाल लिया जाएगा. बता दें कि सीएम धामी रेस्क्यू ऑपरेशन की निगरानी लगातार कर रहे हैं.
मिली जानकारी के अनुसार, उत्तराखंड की निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में मलबे में ड्रिलिंग के दौरान आई बाधा को दूर करने के बाद बृहस्पतिवार को सुबह फिर बचाव अभियान शुरू कर दिया गया . यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था और तब से 41 श्रमिक उसमें फंसे हुए हैं जिन्हें निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव अभियान चलाया जा रहा है . अधिकारियों ने यहां बताया कि श्रमिकों के लिए मलबे में रास्ता तैयार करने हेतु अमेरिकी ऑगर मशीन से बुधवार को की जा रही ड्रिलिंग के दौरान सामने आए लोहे के सरिये को हटा दिया गया है लेकिन इससे अभियान में 12—14 घंटे की देरी हो गयी.
मजदूरों को निकालने में 14 घंटे और लग सकते हैं
बचाव कार्य की निगरानी कर रहे प्रधानमंत्री कार्यालय के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने संवाददाताओं को बताया, ‘‘लोहे के सरिये के कारण उत्पन्न समस्या को दूर कर लिया गया है. गैस कटर का इस्तेमाल कर सरिये को काट दिया गया है.’’ खुल्बे ने कहा, ‘‘सुरंग में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के अभियान में शामिल बचावकर्मियों को ड्रिलिंग पूरी करने और श्रमिकों तक पहुंचने में 12 से 14 घंटे और लगेंगे.’’ बुधवार देर रात बाधा आने के बाद 800 मिलीमीटर व्यास वाले स्टील पाइप को मलबे में डालने के लिए की जा रही ड्रिलिंग को रोकना पड़ा था .
खुल्बे ने कहा कि बुधवार शाम मलबे के 45 मीटर अंदर तक ड्रिलिंग पूरी कर ली गयी थी लेकिन उसके बाद मलबे में लोहे का सरिया मिलने से पांच-छह घंटे काम रुका रहा. श्रमिकों तक पहुंचने के लिए अब मलबे को केवल 12 मीटर भेदा जाना शेष है. सत्रह नवंबर को भी किसी कठोर सतह से टकराने के कारण तेज आवाज आने के बाद अमेरिकी ऑगर मशीन से ड्रिलिंग रोक दी गयी थी जो मंगलवार मध्यरात्रि के बाद फिर शुरू की गयी.
मजदूरों के लिए 41 बेड का अस्पताल तैयार
ऑगर मशीन से ड्रिलिंग कर उसमें छह-छह मीटर लंबे, 800 मिलीमीटर व्यास के पाइपों को जोड़कर श्रमिकों को निकालने का रास्ता बनाया जा रहा है. अधिकारियों ने बताया कि रास्ता तैयार करने के बाद एनडीआरएफ के जवान श्रमिकों को एक—एक कर बाहर लाएंगे जिसके लिए पूर्वाभ्यास (मॉक ड्रिल) कर लिया गया है . इस बीच, श्रमिकों के बाहर आते ही उन्हें चिकित्सकीय सुविधा मुहैया कराने के लिए घटनास्थल से 30 किलोमीटर दूर चिन्यालीसौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 41 बिस्तरों का अस्पताल तैयार किया गया है. सुरंग के बाहर भी चिकित्सकों तथा उपकरणों से लैस एंबुलेंस तैयार खड़ी हैं