क्रेडिट कार्ड की शुरुआत कब और कैसे हुई, जवाब जानकार हैरान रह जायेंगे आप | Credit Card Ki Shuruaat Kab Hui

Credit Card Ki Shuruaat Kab Hui:समय और इतिहास ने कई बार ये साबित किया है कि कुछ खोजें ऐसी होती हैं जो हमारी जिंदगी को पूरी तरह बदल देती हैं. उन्हीं खोजों में से एक है क्रेडिट कार्ड. क्रेडिट कार्ड का इतिहास जानना उतना ही दिलचस्प है जितना क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करना आसान.

आज भारत में 60 लाख से ज्यादा क्रेडिट कार्ड होल्डर्स हैं. यह आंकड़ा दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है. क्रेडिट कार्ड होल्डर्स की संख्या पूरे विश्व में इससे कई ज्यादा है. ऐसे में यह जानना ज़रूरी हो जाता है आखिर क्रेडिट कार्ड की शुरुआत हुई कब और यह किसके दिमाग की उपज है. कैसे क्रेडिट कार्ड समय के साथ-साथ बदलते रहे.

Credit Card Ki Shuruaat Kab Hui
Credit Card Ki Shuruaat Kab Hui

वैसे क्रेडिट कार्ड की खोज डिनर की वजह से हुई बोलना गलत नहीं होगा. एक मशहूर बिसनेस मेन को डिनर के पैसा न चुका पाने के दौरान क्रेडिट कार्ड का आईडिया हिट किया था. वो अपना वॉलेट घर में ही भूल गये थे और डिनर का बिल उनकी वाइफ को चुकाना पड़ता था. आगे जानेगे वो मशहूर बिसनेस मेन कौन थे और वह किस्सा कहां और कब का है जब उन्हें क्रेडिट कार्ड बनाने का आईडिया सूझा है.

क्रेडिट कार्ड की शुरुआत कब हुई(Credit Card Ki Shuruaat Kab Hui)

वैसे क्रेडिट कार्ड का कांसेप्ट 5000 साल से ज्यादा पुराना है, लेकिन इसकी शुरुआत साल 1949 से हुई. जब न्यू यॉर्क के नामचीन बिसनेस मेन फ्रैंक मैकनेमारा एक दिन डिनर के लिए डाईनर क्लब के रेस्तरां पहुंचें. वो और उनकी वाइफ ने वहां कुछ वक़्त बिता कर बेहतरीन डिनर किया. डिनर करने के बाद उन्होंने जैसे ही रेस्तरां के वेटर से बिल मगाया. उन्हें एहसास हुआ कि वो वॉलेट लाना भूल गये हैं. इतने बड़े बिसनेस मेन के लिए यह क्षण शर्मिंदगी भरा था. उन्होंने ऐसी शर्मिंदगी का सामना पहले कभी नहीं किया था. इस गंभीर परेशानी से बहार निकालने और शर्मिंदगी से बचाने में उनकी वाइफ ने रेस्तरां का बिल पे किया.

इसके एक साल बाद फ़रवरी 1950 उनकी वाइफ और वो दोबारा उसी रेस्तरां में पहुंचें. जहां उन्होंने डिनर का बिल कैश के तौर पर न दे कर छोटे गत्ते के कार्ड के जरिये दिया. इसी कार्ड को आज हम ‘डाईनर क्लब कार्ड’ के तौर पर जानते हैं. यहीं से दुनिया के पहले बहुउद्देशीय चार्ज कार्ड के लिए रास्ते खुलें. इस घटना को क्रेडिट कार्ड की शुरुआत के लिए सराहा गया.

पहले क्रेडिट कार्ड की शुरुआत (Introduction Of First Credit Card)

वैसे तो दुनिया के पहले प्लास्टिक क्रेडिट कार्ड को आरंभ करने का श्रेय अमिरिकन एक्सप्रेस को जाता है. कंपनी ने 1959 में इसे लॉन्च किया था हालांकि कंपनी ने 1958 में कागज के ट्रेवल और एंटरटेनमेंट कार्ड लॉन्च किया था जिसमें अकाउंट नंबर और कार्ड होल्डर का नाम लिखा हुआ था.

वीजा को दुनिया का पहला क्रेडिट कार्ड लॉन्च करने का श्रेय दिया जाता है. कंपनी ने 18 सितम्बर 1958 में दी ड्राप नाम के प्रयोग के माध्यम से पहले क्रेडिट कार्ड की शुरुआत की थी. उस वक़्त वीजा को बैंक ऑफ़ अमरीका के नाम से जाना जाता था. इस बार यह कार्ड सभी मर्चेंट पर प्रयोग किया जा सकता था, केवल ट्रेवल, एंटरटेनमेंट और रेस्तरां पर ही नहीं.

कंपनी ने कैलिफोर्निया के लोगों को डाक के माध्यम से 60 हज़ार क्रेडिट कार्ड भेजे गये थे. लोगों के पास रातोंरात 5000 डॉलर आ गये थे जिन्हें वो बिना बैंक की मदद से खर्च कर सकते थे.

पहला स्टोर क्रेडिट कार्ड

दुनिया का पहला स्टोर क्रेडिट कार्ड को शुरू करने का श्रेय डाईनर क्लब को ही जाता है. यह पहला क्रेडिट कार्ड था जिसका उपयोग स्टोर्स पर किया जा सकता था. लॉन्च के पहले ही साल डाईनर क्लब ने 10 हज़ार मेम्बर को जोड़ लिया था. जिसमें 28 रेस्तरां और 2 होटल शामिल हैं. डाईनर क्लब के एलीट मेम्बर इन जगहों पर महीने के अनुसार पैसा चुका सकते थे.

पहला बैंक क्रेडिट कार्ड

बैंक के द्वारा पहले क्रेडिट कार्ड को लॉन्च का श्रेय करने का अमेरिकन एक्सप्रेस को जाता है. जिसने ट्रेवल के दौरान और डाक के जरिये ज्यादा पैसे साथ में ले जाने और डाक से न भेजे जाने की परेशानी दूर किया था. उन्होंने ही 1958 में पहला बैंक क्रेडिट कार्ड लॉन्च किया था जिसके माध्यम से वो कार्ड होल्डर अपने बिल पे कर सकते थे इसके ऐवज में उन्हें एनुअल चार्जेज देने होते थे.

भारत में पहले क्रेडिट कार्ड की शुरुआत(When First credit card launched in India)

भारत में क्रेडिट कार्ड की शुरुआत का श्रेय ‘डाईनर क्लब को ही जाता है. सिटी बैंक ने डाईनर क्लब की मदद से 1969 में पहला क्रेडिट कार्ड लॉन्च किया था. इसके बाद जैसे ही क्रेडिट कार्ड इंडस्ट्री ने प्रसिद्धी हासिल करना शुरू किया तो आंध्र बैंक ने 1985 में क्रेडिट कार्ड को बाज़ार में उतारा था. वैश्य बैंक और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया के साथ सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने भी इसी दौरान क्रेडिट कार्ड लॉन्च किये थे. इसके बाद बैंक ऑफ बड़ौदा और इलाहाबाद बैंक ने मिलकर बॉब कार्ड लॉन्च किया.

पहले क्रेडिट कार्ड के संस्थापक(Credit Card ke Sansthapak Kaun Hai)

फ्रैंक मैकनेमारा को दुनिया के पहले क्रेडिट कार्ड के संस्थापक के तौर पर जाना जाता है. इन्होने ही कागज के कार्ड से क्रेडिट कार्ड की शुरुआत की थी. डाईनर क्लब के रेस्तरां में डिनर करने के दौरान उन्हें इसका आईडिया आया था और कार्ड भी केवल डाईनर क्लब के रेस्तरां में चलता था. फिर धीरे-धीरे इसे और आधुनिक बनाया गया.

क्रेडिट कार्ड के उपयोगकर्ता

आज भारत में क्रेडिट कार्ड के उपयोगकर्ताओं की संख्या 62 लाख से भी ज्यादा है और अमेरिका में लगभग 75% लोग क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं. दुनिया में सबसे ज्यादा क्रेडिट कार्ड के उपयोगकर्ता वीजा कम्पनी के हैं लगभग 900 मिलियन लोग इसी कंपनी के क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं. इसके बाद मास्टर कार्ड के उपयोगकर्ता हैं.

अक्सर पूछें जाने वाले प्रश्न

क्रेडिट कार्ड पर कितना इंटरेस्ट कितना लगता है ?

क्रेडिट कार्ड पर 40% से ज्यादा का सालना इंटरेस्ट लगता है. मासिक तौर पर यह 4% तक हो सकता है.

क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान समय पर न करने पर क्या हो सकता है ?

आप से लेट पेमेंट चार्जेज वसूला जा सकता हैं, आपको डिफ़ॉल्टर घोषित किया जाता है. और लीगल एक्शन लिया जा सकता है.

क्या आप भारत में क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान नहीं करने पर जेल जा सकते हैं ?

जी, नहीं. यदि आपने क्रेडिट कार्ड बिल नहीं भरा तो आप पर सिविल मुकदमा किया जायेगा लेकिन सिविल केस पर क्रिमिनल केस नहीं दायर किया जाता है.

क्रेडिट कार्ड लेट फीस कितनी लगती है ?

क्रेडिट कार्ड कंपनीज अलग-अलग अमाउंट पर ग्राहक से लेट पेमेंट चार्ज करते हैं. जैसे की कार्डधारक को 0 से 500 तक की राशि के लिए के लिए कोई शुल्क नहीं देना होता है. लेट फीस के लिए पूरा पढ़ें

निष्कर्ष

इस लेख में Credit Card Ki Shuruaat Kab Hui और Credit Card ke Sansthapak Kaun Hai से जुडी जानकारी को आसान भाषा में आप तक पहुँचाने की कोशिश की गयी है. यह लेख आपको कैसा लगा आप कमेंट कर के बताएं साथ ही लेख को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक भेजे जिससे वो भी इसका लाभ उठा सके.

यह वेबसाइट 2021 में कमल जोशी(Kamal Joshi) के द्वारा बनाई गई है. कमल जोशी पिछले 6 सालों में अलग-अलग मीडिया संस्थानों में कार्य कर चुके हैं. उन्होंने किसानों और फाइनेंस संबधित कई रिपोर्ट्स पर काम किया है साथ ही उनके द्वारा लिखे गए लेख विश्वसनीयता की हर कसौटी पर खरे उतरते हैं.

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